हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ गीता को कौन नहीं जानता है, चाहे वो किसी भी धर्म के हो या किसी भी देश के रहने बाले, गीता के बारे में काफी दिलचस्पी रखते है, क्यों की इस ग्रन्थ में जो ज्ञान की बातें लिखी है, उससे प्रेरणा लेकर ज्ञान और गृहस्त की मार्ग पर चलते हुए मोक्ष को प्राप्त कर सकता है, आज हम आपको गीता क्या है? गीता का ज्ञान क्या और और इंसान को क्या अपनाना चाहिए अपने जीवन काल में उसका वर्णन कर रहे है।
गुस्से पर काबू रखना – ‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.’
ईश्वर सदैव तुम्हारे साथ है - कहा जाता है जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है, स्पष्ट है कि ईश्वर हमेशा अपने मनुष्यों का साथ देता है। जब व्यक्ति इस प्रभावशाली सत्य को स्वीकार कर लेता है तो उसका जीवन पूरी तरह बदल जाता है। इंसान बस उस सर्वोच्च ताकत के हाथ की एक कठपुतली है, इसलिए कभी उसे अपने भविष्य या अतीत की चिंता नहीं करनी चाहिए।
खुद का आकलन और पहचानना – ‘आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशासित रहो, उठो.’
कर्म करते रहना चाहिए - इंसान को कभी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। उसका जीवन उसके कर्मों के आधार पर ही फल देगा, इसलिए कर्म करने में कभी हिचकना नहीं चाहिए, जीवन में स्थायित्व और निष्क्रियता शिथिलता प्रदान करती है।
विश्वास के साथ विचार – ‘व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.’
तनाव जिंदगी को नर्क बनाती है – ‘अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है.’
श्रीमद्भगवद्गीता (srimad bhagavad gita) वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेशप्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है। विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है। गीता प्रेस गोरखपुर जैसी धार्मिक साहित्य की पुस्तकों को काफी कम मूल्य पर उपलब्ध कराने वाले प्रकाशन ने भी कई आकार में अर्थ और भाष्य के साथ श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाशन द्वारा इसे आम जनता तक पहुंचाने में काफी योगदान दिया है।
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