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बॉलीवुड विश्व की सब बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है, और ये एक ऐसा स्तर हैं, जो हमारे समाज और उनके लोगों को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. बॉलीवुड आज कई सौ करोड़ की इंडसट्रीज है. बॉलीवुड में हर वर्ष कई फिल्मे रिलीज़ कि जाती हैं. जो करोड़ों का कारोबार करती हैं. लेकिन बहुत कम ही फिल्मे हैं जो हमारे मन में अपनी छाप छोड़ जाती है. आइये जाने कुछ ऐसी फ़िल्में जो समाज का आइना तो होती हैं और साथ में समाज के सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित भी करती हैं.
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गुज़ारिश - 2010
गुज़ारिश में ह्रितिक रोशन एक अद्भुत जादूगर की भूमिका में नज़र आते हैं, जिनको व्हील चेयर ने जकड़ लिया है, और इसलिए वे खुद ज़िन्दगी को अलविदा कहना चाहते हैं, पर ख़ास है, उनका रवैया। ज़िन्दगी के आखिरी दिन तक, वह सम्राट की तरह जीतें हैं, और ज़िन्दगी का मज़ा उठाना किसे कहते है, हमें बताते हैं.
मानसिक या शारीरिक रूप से दुर्बल व्यक्ति हम और आप की तरह आम इंसान हैं, वह भी सांस लेते हैं, जीना चाहते हैं, उनके जज़्बात अलग नहीं है, ये हमें बॉलीवुड की फिल्में खुले स्वभाव से बताती हैं.
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लक्ष्य - 2004
'लक्ष्य' 2004 में बनी हिन्दी भाषा की फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित बॉलीवुड फिल्म थी. इसके अभिनेता ऋतिक रोशन, प्रीति जिंटा, अमिताभ बच्चन, ओम पुरी और बोमन ईरानी हैं. ऋतिक लेफ्टिनेंट करण शेरगिल (बाद में कार्यवाहक कप्तान) की भूमिका में हैं, जो अपनी टीम का नेतृत्व कर आतंकवादियों पर जीत पाते हैं. यह 1999 के कारगिल युद्ध के संघर्ष की ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक कहानी थी.
Third party image referenceक्वीन - 2013
फिल्म में राजौरी गार्डन में एक अनुभवहीन मध्यम वर्गीय लड़की की कहानी है जो शादी के दो दिन पहले अपने मंगेतर के चले जाने के बाद अकेले पेरिस और एमस्टर्डम हनीमून पर जाने का फैसला करती है। फिल्म क्वीन कमाल की है, ये तो आपको स्टार देखकर ही अंदाजा लग गया होगा. फिल्म की कहानी, कंगना रनोट समेत सभी कलाकारों की एक्टिंग, हालात से पैदा होती सहज कॉमेडी और अंत, सब कुछ अर्थ समेटे हुए हैं. आपको ये फिल्म जरूर जरूर देखनी चाहिए.
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शहीद - 1965
'शहीद' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित फिल्म थी. भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी यह देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म थी. जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी. इस फिल्म में अमर शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल' के गीत थे. मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फिल्म है.
Third party image referenceस्टेनली का डब्बा - 2011
अमोल गुप्ते की फिल्म स्टेनली का डब्बा वाकई एक बेहतरीन फिल्म है। जिसमें निर्देशक अमोल गुप्ते ने अपनी काल्पनिक दुनिया में बैठ कर बाल मजदूरी के विषय पर एक ऐसी भावविभोर कर देने वाले कहानी लिखी है, जिसे देखकर आपकी आंखें नम हो जायेगी। हम ठीक वही करते हैं, जिसे करने के लिए हम बच्चों को मना करते हैं। अमोल गुप्ते ने स्टेनली का डब्बा बनाकर हमें एक बार फिर यह बात, बड़े आहिस्ता से याद दिलाई है कि यदि आपको ये बात सुननी है तो सुनिए, वर्ना बड़े मजे से फिल्म का मजा लें। जीं हां दिल को छु लेने वाले स्टेनली की कहानी में अपने स्कूल के दोस्तों के बीच एक बहुत ही लोकप्रिय बच्चे और अनुपस्थित खाने के डिब्बे के पीछे का रहस्या बताया गया है।
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