
जब आप लगातार काम करते हैं तो आपकी अंगुलियां भी थक जाती हैं तो हम अपनी अंगुलियों का थोड़ा चटका लेते हैं। लेकिन हमारे बुजुर्ग ऐसा करने से मना करते हैं। वो कहते हैं कि इन सब चीजों की भी अपनी मान्यताएं हैं जो हमें माननी चाहिए। आज हम आपको इसके पीछे एक ऐसा वैज्ञानिक कारण बताने जा रहे हैं जिससे की हमें अपनी अंगुलियां नहीं चटकानी चाहिए।

उंगलिया चटकाने पर क्यूँ आती है आवाज
उंगलिया चटकाने के बाद जब हड्डियां वापस से अपनी जगह पर पहुंचती है तब आवाज आती है। दरअसल हमारे जोड़ों में सानोवियल फ्लड नामक लुब्रीकेंट पाया जाता है। जो हड्डियों के बीच ग्रीस का काम करता है। इन्हें आपस में रगड़ खाने से रोकता है। जोड़ों पर दबाव के कम होने से इस विशेष प्रकार द्रव में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई आक्साइड नए बने खाली स्थान को भरने का काम करती है और ऐसे में द्रव में बुलबुले बन जाते हैं। जब हम जोड़ों को काफी अधिक खींचते हैं तो दबाव कम होने से यह बुलबुले फूट जाते हैं और हड्डी चटकने की आवाज आती है।

उंगलिया चटकाने के नुकसान
जोड़ों में एक विशेष प्रकार का द्रव पाया जाता है जो दो हडि्डयों के जोड़ पर ग्रीस के जैसे काम करता है और हडि्डयों को आपस मे रगड़ खाने से रोकता है। लेकिन उंगुलियों को चटकाने से वो द्रव कम होने लगता है।
उंगलियों को चटकाने से जोड़ों के आसपास की मसल्स और हाथों को आराम मिलता है, इसलिए लोग उंगलियां चटकाते रहते हैं। लेकिन उंगलियां चटकाने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
उंगलियों की हड्डियों को चटकाना गठिया रोग का कारण बनता हैं, इस समस्या का सामना बुजुर्गों को अधिक करना पड़ता है।
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