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महाभारत में एक प्रेरणादायक कहानी आती है , आप सब ने पहले पढी होगी। नहीं पढी है तो पढिए और पढी है तो जरूर पढ़िए। महाभारत की इस कहानी में एक गंभीर सकारात्मक सबक छिपा है।
एक बार गुरू द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों को सबक सिखाने के लिए दुर्याेधन और अर्जुन दोनों को अपने पास बुलाया। सभी शिष्य भी वहां उपस्थित हो गए।
द्रोणाचार्य ने सबसे पहले अर्जुन से कहा कि ‘अर्जुन! पूरे हस्तिनापुर में भ्रमण करके आओ और मुझे बताओं कि हस्तिनापुर में कुल कितने बुरे आदमी रहते हैं।‘
गुरू की आज्ञा मिलते ही अर्जुन हस्तिनापुर में कुल बुरे आदमियों की संख्या जानने के लिए निकल पड़ा। दो घंटे बाद पूरे नगर का भ्रमण करके अर्जुन द्रोणाचार्य के पास आया और बोला ‘ क्षमा करे गुरूदेव ! लेकिन मुझे पूरे नगर में एक भी बुरा आदमी नहीं मिला। सभी सज्जन और अच्छे हृदय के लोग है हस्तिनापुर में।
द्रोणाचार्य ने बिना कुछ बोले अर्जुन को एक तरफ खड़ा रहने का इशारा किया और दुर्योधन से बोले ‘दुर्योधन जाओ ! पूरे नगर का भ्रमण करके आओ और मुझे बताओं कि नगर में कितने अच्छे आदमी रहते हैं।‘
दुर्योधन गुरूदेव की आज्ञा मिलते ही निकल पड़ा। पूरे नगर का भ्रमण करके वो दो घंटों के भीतर लौट आया और गुरूजी से बोला ‘गुरूदेव! मुझे पूरे नगर में एक भी भला व्यक्ति नहीं मिला , सभी छल से भरे हुए और बुरी सोच के व्यक्ति थे।‘
गुरूजी मुस्कुराएं और दुर्योधन को एक ओर खड़े रहने का इशारा किया और अपने सभी शिष्यों को संबोधित करते हुए बोले - ‘ जैसा कि आप सबने देखा कि अर्जुन को पूरे नगर में एक भी बुरा व्यक्ति नहीं मिला और दुर्याेधन को पूरे नगर में एक भी भला व्यक्ति नहीं मिला। इसका कारण कोई बता सकता है .? यह कैसे संभव है ?‘
किसी भी शिष्य ने इस पहेली का उत्तर सुझाने का मन नहीं दिखाया और कुछ देर इंतजार करने के बाद द्रोणाचार्य बोले कि ‘इसका सबसे बड़ा कारण है - विचार।
जैसे आप लोंगो के विचार होंगे , आपकों दुनिया वैसी ही दिखेगी। यह विचारों का जादू है। आप भले है तो पूरी दुनिया आपको भली लगेगी , अपनी मदद करती दिखेगी , आप बुरे है , बुरी सोच रखते है तो पूरी दुनिया आपकों बुरी और आपके खिलाफ छल करती हुई लगेगी। इसलिए जीवन में जो कुछ भी करे, उसमें विचारों को सर्वाधिक महत्व दे। अपने विचार उच्च रखिए , आप स्वयं उच्च हो जाएंगे।‘
महाभारत की यह छोटी सी कहानी जो हम लोग सुनते आ रहे है उसमें जीवन का सबसे बड़ा जादू छिपा है। इसलिए विचारों पर अधिक ध्यान दीजिए, दिमाग से हर नेगेटिव थोट को निकाल फेंकिये।
महात्मा गांधी इस ताकत को जानते थे इसलिए उन्होंने कहा था ‘सादा जीवन उच्च विचार‘। बुद्ध भी इसलिए कहते रहते थे ‘ विचार ही सबकुछ है।‘ गीता में भी यही कथन आता है कि ‘जो भी कुछ है वह सब मुझमें है। सारी ऊर्जा का स्रोत मैं हूं।‘
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