वाराणसी यह वही शहर है जहां मुंशी प्रेमचंद्र की रचना मंत्र का पात्र भगत जैसे लोग होते थे, जो अपना दुख छोड़कर दूसरों के दुख को दूर करने का प्रयास करते थे। लेकिन महामारी ने स्थितियां ऐसी बना दी हैं कि अब तो अपने भी दुख में साथ नहीं खड़े हो पा रहे हैं।
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वाराणसी यह वही शहर है जहां मुंशी प्रेमचंद्र की रचना मंत्र का पात्र भगत जैसे लोग होते थे, जो अपना दुख छोड़कर दूसरों के दुख को दूर करने का प्रयास करते थे। लेकिन महामारी ने स्थितियां ऐसी बना दी हैं कि अब तो अपने भी दुख में साथ नहीं खड़े हो पा रहे हैं।
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वाराणसी: मोक्ष नगरी में अंतिम क्रिया का भी व्यापार, कंधा देने के लिए चल रहा मोल-भाव, लग रही बोली
वाराणसी यह वही शहर है जहां मुंशी प्रेमचंद्र की रचना मंत्र का पात्र भगत जैसे लोग होते थे, जो अपना दुख छोड़कर दूसरों के दुख को दूर करने का प्रयास करते थे। लेकिन महामारी ने स्थितियां ऐसी बना दी हैं कि अब तो अपने भी दुख में साथ नहीं खड़े हो पा रहे हैं।
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