मेवात के नूंह में हिंसा हो गई। वैसे तो उसे होना ही नहीं था। अगर हुई तो उसे तभी रोका जा सकता था। क्या कुछ नहीं था, सरकार थी, पुलिस थी और केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी पहुंच गए थे। इसके बाद भी हिंसा होती रही तो मतलब सीधा सा है कि इसके पीछे कुछ तो था।
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मेवात के नूंह में हिंसा हो गई। वैसे तो उसे होना ही नहीं था। अगर हुई तो उसे तभी रोका जा सकता था। क्या कुछ नहीं था, सरकार थी, पुलिस थी और केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी पहुंच गए थे। इसके बाद भी हिंसा होती रही तो मतलब सीधा सा है कि इसके पीछे कुछ तो था।
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Nuh: 11वीं सदी के राजपूत वंश से निकले मुस्लिमों के खिलाफ क्यों नहीं गए जाट, क्या हिंदुत्व की दुकान हुई बंद?
मेवात के नूंह में हिंसा हो गई। वैसे तो उसे होना ही नहीं था। अगर हुई तो उसे तभी रोका जा सकता था। क्या कुछ नहीं था, सरकार थी, पुलिस थी और केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी पहुंच गए थे। इसके बाद भी हिंसा होती रही तो मतलब सीधा सा है कि इसके पीछे कुछ तो था।
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