बमबारी और गोलियों की आवाज से लगातार डर लगता था। एक बार तो हमने घर पहुंचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। न तो कुछ खाने को था न ही पीने को।
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बमबारी और गोलियों की आवाज से लगातार डर लगता था। एक बार तो हमने घर पहुंचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। न तो कुछ खाने को था न ही पीने को।
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बमबारी और गोलियों की आवाज से लगातार डर लगता था। एक बार तो हमने घर पहुंचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। न तो कुछ खाने को था न ही पीने को।
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